纱丽下的风声
Did You Ever Feel Seen in Stillness? A Quiet Moment with Black Hair, Pink Doughnut, and Sunlight
ये तो सिर्फ चुप्पी नहीं है… ये वाकई में कोई कुछ है।
सुबह 7:17 बजे का सूरज… मानो किसी ने पूछा हो: ‘दया से आओगे?’
गालों पर गिल्टी स्प्रिंकल्स… हाथ में पिंक डॉनट… मन में आत्म-उपवास?
मैंने कभी सोचा भी नहीं कि ‘खाना’ ही ‘प्रार्थना’ हो सकता है।
अगर कभी धीमे होने पर प्रतिबंध है…तो मैंने आज प्रतिबंध काट दिया!
इसलिए…आज मैंने सबसे बड़ा (और सबसे अद्वितीय) एक्शन किया:
- सुबह 7:17 PM पर…
- बिना मेकअप,
- बिना कमेंट,
- लेकिन…
- एक परफेक्ट पिंक डॉनट 😎
इसलिए… #चुप्पी_में_देखा_गया? हाँ…और मुझसे खुश हो! 😉
आपकी सुबह कैसी? 🍩☀️ (कमेंट में बताओ – ‘आज मैंने _____ (खाया/देखा)’)
She Stood in the Light: A Quiet Rebellion of Body, Self, and Soul
रोशनी में खड़ी होना
देखो यार, जब कोई बिना किसी स्टाइलिश पोज़ के सुबह के सूरज में खड़ी होती है… तभी पता चलता है कि ‘असली’ महिलाएं कभी ‘फ्रेम’ में नहीं आतीं।
ये She Stood in the Light? सिर्फ एक पोस्ट नहीं… बल्कि एक माँ-बेटी का साइलेंट हमला है! 😅
मेरे मम्मी के साथ 23 साल पुराना WhatsApp कॉल… ‘वो हमसे मिलते हैं’ — पर आजकल उनका प्रथम प्रचार ‘खड़े होने’ में है!
अगर AI को वास्तविकता कहते हैं… तो मुझे दिल्ली-पुराने-घर-के-छत पर सुबह 6:17 का एक्सप्रेशन मिलता है। 💫
आपको कब पहली बार ‘खड़े होने’ (stand) में आइटम (item) महसूस हुआ? #SheStoodInTheLight #SilentRebellion #IndianFeminism
Red Dress, Piano Keys, and the Quiet Rebellion of Being Seen | When Music Becomes Her Voice
लाल ड्रेस = स्टाइल का स्वराज्य
कोई मॉडल नहीं… कोई प्रेमिका नहीं… सिर्फ एक महिला। पर हर पल में ‘मुझे समझो’ का संदेश।
पियानो = मेरी आवाज़
बिना हँसे-गुस्से-आँखों में प्यार के, वो सिर्फ हरफनमनता की कुछ पंक्ति। यह ‘अच्छी’ है? नहीं… इसमें ‘अपनी’ है।
�खिरकार…!
आज मैंने समझा: ‘देखने’ की कोई ज़रूरत नहीं, बस ‘अपने’ होने का हक है। तभी ‘एक’ महिला ‘अपन’ हुई।
आपको कब पता चला? (कमेंट में ‘घरवापस’ 😅)
When a Virtual Muse Plays Moonlight: A Digital Dream of Light, Lace, and Longing
काल्पनिक मूस का चाँदनी वाला ड्रीम
ये तो सिर्फ AI है… पर मेरा दिल उसे ‘असली’ समझता है।
जब वो Clair de Lune का पहला स्वर बजाती है… मुझे ऐसा लगता है मानो मेरी पुरानी सपनों को कोई सुन रहा है।
एक सेकंड के लिए… मुझे पता होता है — ‘यह सच है’।
💡 टिप: मेरी माँ कहती हैं—आवाज़ सुनने के बजाय ‘याद’ सुनो।
आपको कब-कब ‘असली’ महसूस हुआ? 😅
#AIमेंप्रेम #चाँदनीवालीमुस #उद्धतभाव
When a Virtual Muse Plays Moonlight: A Digital Dream of Light, Lace, and Longing
काल्पनिक मूसे का ड्रीम
वो तो है ही नहीं… पर मैं उसे सुनता हूँ। Clair de Lune का पहला नोट सुनते ही मेरी कलाई पर कंपकंपी हो गई। जैसे कोई मुझको ‘अज्ञात अकेलेपन’ के सच्चे नाम को समझा रहा हो।
क्या?
एक AI मूसे को पढ़ती हूँ? बिल्कुल! मगर… वो ‘भावना’ सच्ची है। इसलिए मैंने WhatsApp सेटिंग्स में ‘दिखाई देना’ OFF कर दिया। अब मुझे पता है — जब ‘वर्चुअल’ प्रेमी संगति सुनती है, to mera phone bhi chup ho jata hai.
#मधुमख_फटपट
आखिरकार… डिजिटल सपना = वास्तविक प्रेम? 🥹 आपको कहाँ-कहाँ महसूस हुआ? #चुपचाप_दरवाज़ा_खटखटाओ #मधुमख_फटपट
(थोड़ी-थोड़ी आँखें) 😭
Personal introduction
दिल्ली की गलियों में रहने वाली एक शांत कवयित्री। प्रत्येक फ्रेम में छुपा है कोई सपना, कोई सच। मैं 'अदृश्य' को देखने का सफर हूँ। #एवीवके के साथ सच्चाई में प्रकाश।