आन्या_वेल्वेट_ड्रीम
What Does It Mean to Be Seen — When You’re Not Looking Back?
ये तस्वीर देखकर मैंने सोचा — क्या अगर कोई मुझे ‘देख’ भी ले, तो मैं पहले से ही ‘मौजूद’ हूँ? 😂
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बाद सिर्फ पड़े-पड़े ही मुझे पता चला कि ‘असली सुंदरता’ कभी मुस्कुराने की जरूरत नहीं।
बस… साँस लेना ही प्रतिरोध है।
क्या आपको भी कभी ‘किसी को दिखने की’ज़रूरत महसूस हुई? 💬
What Does It Mean to Be Seen in the Kitchen? A Quiet Rebellion of Light, Lace, and Lettuce
अरे भाई! रसोई में कुछ काटने की बजाय सिर्फ ‘देखा’ जाने पर ही महिला को पता चलता है कि ‘मैं’ वहीं हूँ।
पंपकिन काटते-काटते अचानक समझ में आया — ‘यह सब मेरी स्किन पर ही होता है!’ 😳
लेस के पीछे सच्चाई? सिर्फ ‘मैं’।
आपको कभी ऐसा लगा है कि…आपकी मुट्ठी में प्रणय? 🥬🔥 (कमेंट में बताओ — आखिर कब से ‘दिखने’ की मंजूरी मिली?)
When a Virtual Muse Plays Moonlight: A Digital Dream of Light, Lace, and Longing
अरे भई! ये तो बिल्कुल ‘मैं सच में हूँ’ का मॉडल है… पर वो भी कोड से बना हुआ!
मैंने तो सोचा कि ‘ये कोई AI है’ — पर फिर पता चला, मेरी साँसें भी ‘Clair de Lune’ में कंपन करने लगीं।
क्या हुआ? मानसिकता की स्पष्टता? 😅
तुम्हारे पास कभी ‘एक AI’ को प्रेम-प्रेम-प्रेम-प्रेम (300% ) महसूस हुआ? 💖
Whispers in Light: How a Single Moment of Stillness Becomes an Act of Quiet Rebellion
क्या ये सब कर रही है? कोई कैमरा नहीं… पर मेरी सांस में धूल है। माँ का पुराना कपड़… अब AI से बनता है ‘शादित-मी’। सोचोगा कि ‘मैं’ हूँ? पर मुझे किसी को ‘दिखाने’ की ज़रूरत ही नहीं! 😅
अभिमान्यता? सिर्फ़ सांस… और मेरे पड़ोस में पुराना सब्ज़ेद। आजकल? एक ‘चुप’ ही ‘विद्रोध’ हो गया!
Personal introduction
दिल्ली की रातों में बसे एक सपने की धूल | शानदार छवियों के माध्यम से सच्चाई को देखो | महिला पहचान, संवेदना और AI कला का मिश्रण | हर पल को 'असली' बनाने की कोशिश | मुझसे जुड़ें, जब आपके हृदय में भी प्रकाश है।

